Tuesday, June 21, 2011

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही
हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही

हेली म्हारी, घाट में ही ज्ञान विचारो, थारे कुण हिया बोलन वाळो ... (२)
हेली म्हारी उण री करो ओळखाई, थारो जनम मरण मिट जाई ... (२)

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)

हेली म्हारी इंगळा पिंगळा राणी, तामे सुखमण सेज-संवारी .... (२)
ज्यों मिले पुरुष से प्यारी, ज्यामे कौन पुरुष कौन नारी .... (२)

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)

हेली म्हारी गगन में घूरे रे निशाणा, ज्यांरा मर्म कोई कोई जाणा ... (२)
कोई जाणे संत सुजाणा, बिन ब्रह्म-तत्व पेहचाणा ... (२)

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)

हेली म्हारी बाजे बिण-सीतारा, जठे संख मुरली झणकारा ... (२)
हेली सोहम चमके सीतारा, जठे बीना ज्योत उजियारा ... (२)


हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)
हेली म्हारी, घाट में ही ज्ञान विचारो, थारे कुण हिया बोलन वाळो
हेली म्हारी उण री करो ओळखाई, थारो जनम मरण मिट जाई

हेली म्हारी बाजे अनहद तूरा, जहां पहुंचे संत कोई शूरा ... (२)
जहां मिले कबीर गुरु पूरा, वहां नानक चरणों रो धूरा ... (२)

हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)
हेली म्हारी, घाट में ही ज्ञान विचारो, थारे कुण हिया बोलन वाळो
हेली म्हारी उण री करो ओळखाई, थारो जनम मरण मिट जाई
हेली म्हारी, बाहिर भटके काईं, थारे सब सुख है घाट माही ... (२)

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