हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो (२)
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो (२)
अधर धार करता का मेळा
शुन्य शिखर चढ़ जाय
अधर धार करता का मेळा
शुन्य शिखर चढ़ जाय
हेली शुन्य शिखर चढ़ जाय
तीन लोक पर अमर अखाडा (२)
काळ ना परसे जम जाय
गगन पर देशड ल्यो (२)
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो (२)
पांच तत्त्व तीनों गुण भेळा
ऊँचा अलख लखावे
पांच तत्त्व तीनों गुण भेळा
ऊँचा अलख लखावे
हेली ऊँचा अलख लखावे
निराकार नीर रूप ब्रह्म में हो
निराकार नीर रूप ब्रह्म में
सर्गुण सें न मिलावे
गगन पर देशड ल्यो
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो हो (२)
श्रोता वक्ता दोनों ही थांके
उर्झ रहे सुर्जहाय
श्रोता वक्ता दोनों ही थांके
उर्झ रहे सुर्जहाय
हेली उर्झ रहे सुर्जहाय
स्वर्ग नरक की राह निराली (२)
भर्म्योड़ा ही गोता खाय
गगन पर देशड ल्यो
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो हो (२)
पग बिन चले, नैण बिन निरखे
परख लिया निर्वाण
पग बिन चले, नैण बिन निरखे
परख लिया निर्वाण
हेली परख लिया निर्वाण
चढ़ गयी सूरत घर वासा (२)
मगन भई है पिव जाण
गगन पर देशड ल्यो
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो हो (२)
पिवमिया परमानन्द पाया
सागर बूंद समाय
पिवमिया परमानन्द पाया
पिवमिया परमानन्द पाया
सागर बूंद समाय
पिवमिया परमानन्द पाया
सागर बूंद समाय
हेली सागर बूंद समाय
रामानंद रा भणत कबीरा ओ (२)
रज में रज मिल जाय
गगन पर देशड ल्यो
रामानंद रा भणत कबीरा
रज में रज मिल जाय
गगन पर देशड ल्यो हो
गगन पर देशड ल्यो
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो हो
हेली चाले तो हरी मिल जाए
गगन पर देशड ल्यो हो (३)
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