Tuesday, July 21, 2009

पिचम धरा सूं म्हारा पीर जी पधारिया

आरती री वेळा पधारो अजमाल रा, दर्शन री बलिहारी
दूर दूर सूं आवे जातरू, निमण करे नर नारी

ओ पिचम धरा सूं म्हारा, पीर जी पधारिया
घर अजमल अवतार लियो
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
अरे हरजी भाटी उबा चँवर ढोळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

पिचम धरा सूं म्हारा, पीर जी पधारिया
घर अजमल अवतार लियो
अरे लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
हरजी भाटी उबा चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे घी री तो मिठाई बाबा, चडे थारे चुरमो ... (२)
धुंपा री मेहेंकार उडे , हे धुंपा री मेहेंकार उडे
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
हरजी भाटी उबा चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे गंगा रे जमुना, बेहवे सरस्वती ... (२)
रामदेवजी बाबो स्नान करे ... (२)
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
ए हरजी भाटी चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे दूरा रे देशा रा, आवे थारे जातरू ... (२)
अरे बापजी री दरगाह आगे निमण करे ... (२)
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ढोल नगाडा धणी रे नौबट बाजे ... (२)
अरे झालर री रे झणकार पड़े ... (२)
अरे लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती
ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ओ खम्मा खम्मा खम्मा रे, कँवर अजमाल रा
घर अजमल अवतार लियो
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती
अरे हरजी भाटी उबा चँवर ढोळे
लांछा ने सुगणा करे हर री आरती

हो हो हरी चरणों में भाटी हरजी बोले ... (२)
अरे नव खंडों में निशाण घुरें
नव रे खण्डाँ में निशान घूरे
अरे हरी चरणों में बहती हरजी बोले
नव रे खान्डाँ में निशान घूरे
लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती
ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती ... (२)

आन्धळिया ने आँख दिनी, पान्गळिया ने पाँव जी ... (२)
हे कोडिया रो कळंक झडायो जी
लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती
ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ओ वारी वारी वारी रे कँवर तपधारी ... (२)

ISAKE AAGE PATA NAHIN HAI

2 comments:

Unknown said...

nice...i like it. good job

Unknown said...

very good ...i saw your bhajan geet..i like it..good job